सरकार ने मोबाइल कंपनियों को ‘संचार साथी’ ऐप प्री-इंस्टॉल करने का आदेश दिया – क्या है इसका असली सच?
भारत सरकार ने देश की साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। ताज़ा रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार ने Apple, Samsung, Vivo, Oppo, Xiaomi जैसी सभी प्रमुख मोबाइल कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे अपने नए स्मार्टफोन्स में Sanchaar Saathi App को प्री-इंस्टॉल करें।
यह आदेश अभी पब्लिक नहीं किया गया है, बल्कि इसे चुनिंदा कंपनियों के साथ निजी तौर पर साझा किया गया है। लेकिन इसके बाद टेक इंडस्ट्री में हलचल बढ़ गई है, खासकर Apple को लेकर।
इस पोस्ट में हम पूरी खबर को आसान भाषा में समझेंगे—
क्या है यह ऐप, क्यों जरूरी है, विवाद क्या है और आगे क्या हो सकता है।
📌 'Sanchaar Saathi' ऐप आखिर है क्या?
संचार साथी भारत सरकार का बनाया हुआ एक साइबर सिक्योरिटी टूल है, जिसे 17 जनवरी 2025 को लॉन्च किया गया था।
यह ऐप 4 बड़ी समस्याओं का समाधान देता है:
1️⃣ चोरी हुए मोबाइल को ट्रैक करना
इस ऐप से यूज़र चोरी हुए फोन की शिकायत दर्ज कर सकता है और उसी के आधार पर फोन को लॉकेट किया जा सकता है।
2️⃣ नकली या डुप्लीकेट IMEI नंबर पहचानना
भारत में हर साल लाखों फेक या क्लोन IMEI वाले फोन मार्केट में आते हैं। यह ऐप इन्हें पकड़ने में मदद करता है।
3️⃣ आपके नाम पर कितने मोबाइल कनेक्शन हैं, यह पता लगाना
यह फीचर फ्रॉड या सिम-कार्ड आधारित ठगी रोकने में बेहद उपयोगी है।
4️⃣ फोन चोरी का तुरंत ब्लॉक/अनब्लॉक सिस्टम
यूज़र तुरंत फोन ब्लॉक करा सकता है ताकि चोरी के बाद उसका गलत उपयोग न हो।
📊 लॉन्च के बाद क्या परिणाम मिले?
सरकारी रिपोर्ट्स के अनुसार:
- ऐप की हेल्प से 7 लाख+ चोरी हुए फोन बरामद किए जा चुके हैं।
- सिर्फ अक्टूबर 2025 में ही 500 चोरी हुए फोन वापस मिले।
इन आंकड़ों को देखते हुए सरकार चाहती है कि यह ऐप हर नए फोन में पहले से मौजूद हो।
📱 कौन-कौन सी कंपनियां प्रभावित होंगी?
सरकार ने यह आदेश सभी प्रमुख कंपनियों को भेजा है:
- Samsung
- Vivo
- Oppo
- Xiaomi
- Apple
Android कंपनियाँ संभवतः सरकार का आदेश मान लेंगी क्योंकि उनके सिस्टम में प्री-इंस्टॉल ऐप्स रखना सामान्य बात है।
लेकिन…
🍎 असली ड्रामा – क्या Apple मानेगा?
Apple अपने iPhones में
👉 थर्ड-पार्टी ऐप्स को प्री-इंस्टॉल करने की अनुमति नहीं देता।
कुछ साल पहले एंटी-स्पैम ऐप को लेकर सरकार और Apple के बीच विवाद भी हो चुका है।
Apple के लिए समस्या क्यों?
- iOS में थर्ड-पार्टी सिस्टम ऐप्स की अनुमति नहीं है।
- प्री-इंस्टॉलेशन सुरक्षा और प्राइवेसी पॉलिसी से टकराता है।
- भारत में Apple के 8 करोड़ एक्टिव डिवाइस हैं और मार्केट शेयर लगभग 4.5% है।
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
- Apple शायद सरकार से नेगोशिएशन कर सकता है।
- वह ऐप को optional यानी voluntary prompt के रूप में देने का सुझाव दे सकता है।
- यानी यूज़र फोन सेटअप करते समय चाहे तो इंस्टॉल करे।
अभी तक Apple समेत किसी भी कंपनी ने इस आदेश पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
🛡️ क्या यूज़र्स की प्राइवेसी खतरे में है?
सोशल मीडिया पर लोग सवाल पूछ रहे हैं—
- क्या यह ऐप हमारी लोकेशन लगातार ट्रैक करेगा?
- क्या सरकार हर फोन का डेटा देख सकेगी?
सरकार का कहना है कि ऐप का इस्तेमाल सिर्फ चोरी रोकने और फेक IMEI पकड़ने के लिए किया जाता है।
लेकिन फिर भी प्राइवेसी को लेकर बहस जारी है, खासकर Apple यूज़र्स के बीच।
🔮 आगे क्या होने वाला है?
आने वाले दिनों में मोबाइल कंपनियाँ इस पर अपने बयान दे सकती हैं।Apple और सरकार के बीच बातचीत होने की संभावना है।
- Android फोन्स में यह ऐप शायद जल्द ही डिफॉल्ट रूप में दिखने लगेगा।
जैसे ही कोई नई अपडेट आएगी, TechAI4U आपको सबसे पहले जानकारी देगा।
✔️ निष्कर्ष (Conclusion)
सरकार का उद्देश्य साफ है—
साइबर फ्रॉड, फोन चोरी और फर्जी IMEI को खत्म करना।
लेकिन प्राइवेसी और Apple की नीतियाँ इस मामले को थोड़ा जटिल बनाती हैं।
अब देखना यह है कि कंपनियाँ कितना सहयोग करती हैं और सरकार क्या अंतिम निर्णय लेती है।
